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कागजों तक सिमट कर रह गई अमृत सरोवर निर्माण की योजना

शाहजहाँपुर/ बंडा। ग्राम पंचायतों में स्थित तालाबों का कायाकल्प कर ग्रामीणों को रोजगार देने के साथ-साथ तालाब को अमृत सरोवर के रूप में विकसित करने की सरकार के महत्वाकांक्षी योजना धरातल पर धराशाही होकर रह गई। इसमें लाखों रुपए खर्च हुए लेकिन तालाबों की दशा नहीं सुधरी। मिले लक्ष्य के अनुसार अमृत सरोवरों की संख्या कागजों पर ही सिमट कर रह गई। भीषण गर्मी में अमृत सरोवरों के सूखे पडे़ रहने से पशु पक्षी प्यास के मारे व्याकुल दिख रहे हैं। जिस उद्​देश्य को लेकर इन अमृत सरोवरों का निर्माण कराया जा रहा वह भी पूरा होता नहीं दिख रहा। लोक भारती ने जब इसकी जमीनी पड़ताल की तो चौकाने वाले नतीजे सामने दिखे, विकास खंड बंडा की ग्राम पंचायतों में मनरेगा योजना के तालाबों के जीर्णोद्वार करने के लिए अमृत सरोवर का नाम देकर युद्धस्तर पर कार्य शुरु किया गया और लाखों रुपए खर्च हुए लेकिन नतीजा सिफर रहा। क्षेत्र के कुछ तालाबों को छोड़ दें तो अधिकांश अमृत सरोवर अधूरे पड़े हैं। वहीं क्षेत्र के अधिकांश तालाब सूखे पड़े है, सरोवर के किनारे न तो बैठने की उचित व्यवस्था है न ही छायादार पेड़ और न ही किनारे पटरियों पर इंटरलॉकिंग की गई है।

 

इस संबंध में बीडीओ मोहित दुबे ने कहा मैने तीन चार अमृत सरोवर में पानी भरवाया हैं बाकी जो सूखे पड़े हैं उन्हे चिन्हित कर पानी भराया जायेगा । अमृत सरोवर में ग्राम पंचायत अपने स्तर से पानी भरा सकती हैं । पानी भराने के लिए कोई गाइडलाइन नहीं है ।

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